मैं कभी बतलाता नहीं... पर semester से डरता हूँ मैं माँ ...|
यूं तो मैं दिखलाता नहीं ... grades की परवाह करता हूँ मैं माँ ..|
तुझे सब है पता ....है न माँ ||
किताबों में ...यूं न छोडो मुझे..
chapters के नाम भी न बतला पाऊँ माँ |
वह भी तो ...इतने सारे हैं....
याद भी अब तो आ न पाएं माँ ...|
क्या इतना गधा हूँ मैं माँ ..
क्या इतना गधा हूँ मैं माँ ..||
जब भी कभी ..invigilator मुझे ..
जो गौर से ..आँखों से घूरता है माँ ...
मेरी नज़र ..ढूंढे qstn paper...सोचूं यही ..
कोई सवाल तो बन जायेगा.....||
उनसे में ...यह कहता नहीं ..बगल वाले से टापता हूँ मैं माँ |
चेहरे पे ...आने देता नहीं...दिल ही दिल में घबराता हूँ माँ ||
तुझे सब है पता .. है न माँ ..|
तुझे सब है पता
2 comments:
nice kavita .... dil ki bat juba par aa gaye.
..........................suits on each n every metallurgist(wud be):)
even on the topper of our class.........................lol
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